ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!... अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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